अंदेशा-ए-अर्बाब-हरम साथ रहेगा जन्नत भी मिलेगी तो ये ग़म साथ रहेगा प्यासे ही गुज़र जाएँगे हम राह-ए-तलब से इबरत के लिए साग़र-ए-जम साथ रहेगा मंज़िल से पलट आएगी एक एक तजल्ली हाँ शो'ला-ए-रुख़्सार-ए-सनम साथ रहेगा तू और न आए दर-ज़िंदान-ए-वफ़ा तक मर कर भी ये ग़म तेरी क़सम साथ रहेगा अफ़्लाक से पलकों पे उतर आएँगे तारे खुल कर भी शब-ए-ग़म का भरम साथ रहेगा मय-ख़ाना बहुत दूर नहीं दीदा-ए-नम से आ गर्दिश-ए-दौराँ कोई दम साथ रहेगा राहों में 'क़तील' आएँगे सौ आइना-ख़ाने लेकिन मिरा गुल-पोश क़लम साथ रहेगा