अपने घर में मिरी तस्वीर सजाने वाले उँगलियाँ तुझ पे उठाएँगे ज़माने वाले जा तुझे भी कहीं दीवार का साया न मिले ग़म के सहरा में मुझे छोड़ के जाने वाले हम फ़क़ीरों की भी थोड़ी सी दुआएँ ले जा काम आएँगी नज़र फेर के जाने वाले शो'ला-रू शो'ला-बदन शो'ला-सुख़न शो'ला-मिज़ाज आ गए घर में मिरे आग लगाने वाले वो हमारे ही किसी दोस्त का घर था शायद छुप के बैठे थे जहाँ तीर चलाने वाले अपने अंदर भी कभी झाँक के देखा होता आइना सारे ज़माने को दिखाने वाले आतिश-ए-रश्क से जलते हैं अदू जल जाएँ फूल 'राही' पे लुटाएँगे लुटाने वाले