अपने जैसा भी कोई उस को नज़र आएगा चाँद उस रात में धरती पे उतर आएगा अपने लहजा को ज़रा सख़्त बना कर देखो कुछ दिनों बा'द तुम्हें फ़र्क़ नज़र आएगा साथ में रह के सपेरों के गुज़ारें कुछ दिन साँप के फन को कुचलने का हुनर आएगा मुस्कुराता है तो फिर साथ रहा कर मेरे कुछ न कुछ तो मिरी सोहबत का असर आएगा अपनी औलाद के जज़्बात समझ ले वर्ना तेरा बेटा न कभी लौट के घर आएगा जिस को सर कर के मसर्रत ही मिलेगी 'दानिश' मरहला ऐसा भी दौरान-ए-सफ़र आयेगा