अपने जल्वों को यूँ न आम करो कुछ तो पर्दे का एहतिमाम करो ज़ुल्मतों की बिसात ही क्या है तुम चराग़ों का इंतिज़ाम करो ख़ुश-दिली से मिला करो सब से ख़ंदा-पेशानी अपनी आम करो ये न भूलो कि तुम मुहाफ़िज़ हो यूँ न इंसाँ का क़त्ल-ए-आम करो अपने अज्दाद हों न शर्मिंदा ऐसा वैसा न कोई काम करो इस से दिल का सुकून मिलता है ज़िक्र अल्लाह का मुदाम करो मुफ़लिसों को न देखो नफ़रत से तुम ग़रीबों का एहतिराम करो यूँ नुमाइश करो न दौलत की इस बुराई का इख़्तिताम करो चाहते हो कि बरगुज़ीदा हों तुम हक़ाएक़ को अपने नाम करो मुझ को तुम से बड़ी मोहब्बत है मेरे जज़्बे का एहतिराम करो अगली नस्लों को जिस से फ़ैज़ मिले ऐसा दुनिया में कोई काम करो ये नए अहद का तक़ाज़ा है क़ातिलों का भी एहतिराम करो तेज़ रफ़्तार है ज़माना 'ज़की' तुम ज़कावत को तेज़-गाम करो