अपना दामन देख कर घबरा गए ख़ून के छींटे कहाँ तक आ गए भूल थी अपनी किसी क़ातिल को हम देवता समझे थे धोका खा गए हर-क़दम पर साथ हैं रुस्वाइयाँ हम तो अपने आप से शरमा गए हम चले थे उन के आँसू पोंछने अपनी आँखों में भी आँसू आ गए साथ उन के मेरी दुनिया भी गई आह वो दुनिया से मेरी क्या गए 'नक़्श' कोई हम भी जाएँ छोड़ कर जैसे 'मीर'-ओ-'ग़ालिब'-ओ-'सौदा' गए