अपने चेहरे पे शराफ़त को सजाए रहिए साफ़ कपड़ों में हर इक ऐब छुपाए रहिए सच को सच कहने के अंजाम से डर लगता है इस लिए झूट कलेजे से लगाए रहिए चश्म-ए-साक़ी की इनायत का भरम रखना है बे-पिए बज़्म में हंगामा मचाए रहिए अपने क़ातिल को कभी ज़हमत-ए-तश्हीर न दें अपना सर अपने ही नेज़े पे उठाए रहिए सुब्ह गर होगी तो पहचान लिए जाएँगे शो'बदे शब के अंधेरे में दिखाए रहिए उन के कूचे में जो जाना है तो हुशियार रहें बर्फ़ को आग के शो'लों से बचाए रहिए लाखों इल्ज़ाम से बचने का सलीक़ा ये है मुझ को इल्ज़ाम की सूली पे चढ़ाए रहिए दर्द आँखों से टपक जाएगा आँसू बन कर लाख होंटों पे तबस्सुम को सजाए रहिए आप बर्दाश्त न कर पाएँगे 'नाज़िम' का वजूद ये जो दीवाना बना है तो बनाए रहिए