अपने ख़्वाबों के पास रहने दे कुछ तो जीने की आस रहने दे ग़म मिरा बाँटती है तन्हाई मुझ को तन्हा उदास रहने दे यूँ न कीचड़ उछाल औरों पर तू ये उजला लिबास रहने दे ज़ख़्म दिल का कभी नहीं भरता कब जुड़ा है गिलास रहने दे मैं न कहता था ऐ 'सफ़ी' तुझ को कब मोहब्बत है रास रहने दे