अपने लोगों से राब्ता रक्खो पास-ए-रस्म-ओ-रह-ए-वफ़ा रक्खो टूट जाएगा दिल जुदाई से आने जाने का सिलसिला रक्खो राह दरिया में गर बनाना है हाथ में मूसवी असा रक्खो ख़ुल्द है इन के पाँव के नीचे माँ को किस ने कहा ख़फ़ा रक्खो नाव ख़ुद ही भँवर से निकलेगी नाख़ुदा हो तो हौसला रक्खो हाल चेहरे का वो बता देगा सामने अपने आइना रक्खो फ़ैसला क्या करेगा वो जाने तुम मगर अपना मुद्दआ' रक्खो है इसी में 'अलीम' दानाई अपने दुश्मन को हम-नवा रक्खो