अपनी हस्ती के कमालात से बाहर निकले वो अगर मेरे ख़यालात से बाहर निकले दफ़्न कर रक्खे थे सीने के किसी कोने में राज़ जो तेरे सवालात से बाहर निकले इश्क़ खाएगा नहीं यार ये वा'दा है मिरा उस से कह दो कि वो ख़दशात से बाहर निकले उस के वा'दों पे भी कर लेंगे भरोसा वो अगर शहर-ए-कूफ़ा के मज़ाफ़ात से बाहर निकले उस की आँखों ने पुकारा तो गिने तक न गए रिंद कितने ही ख़राबात से बाहर निकले और भी ख़ाली हैं दुनिया में ठिकाने लाखों उस से कह दो कि मिरी ज़ात से बाहर निकले