अपनी जब वफ़ाओं पर उन को बद-गुमाँ देखा हम ने कितनी हसरत से सू-ए-आसमाँ देखा तीलियों से टकरा कर क्या कहा हवाओं ने चौंक कर असीरों ने सू-ए-गुलिस्ताँ देखा साज़-ए-हाल पर छेड़ा हर तराना-ए-माज़ी दिल को जब कभी हम ने माइल-ए-फ़ुग़ाँ देखा तीरगी के पर्दे में मर्ग-ए-तीरगी है 'होश' जब उठा हिजाब-ए-शब मेहर ज़ौ-फ़िशाँ देखा