अपनी ख़ुश-फ़हमी को इदराक समझने वाले ख़ाक समझेंगे मुझे ख़ाक समझने वाले इक ज़रा तेज़ हवा से ये गरेबान खुला डर गए ख़ुद में इसे चाक समझने वाले जाने उन को मिरे अंदर की ख़बर कैसे हुई ठीक समझे मुझे सफ़्फ़ाक समझने वाले मेरे अंदर से मिरा जुफ़्त नुमूदार हुआ और शश्दर हैं मुझे ताक समझने वाले ख़ाक तुझ फ़िक्र की तर्सील पे सहराओं की दीदा-ए-गुल को भी नमनाक समझने वाले मैं तिरे जैसा ख़ुदा होने से महफ़ूज़ रहा दाग़-ए-‘इस्याँ से मुझे पाक समझने वाले दश्त-दर-दश्त भटकते हुए देखे 'ताहिर' ख़ुद को इस दहर में चालाक समझने वाले