अपनी सूरत को अजनबी कर लो हम से चाहो तो बे-रुख़ी कर लो कोई मेहमान आने वाला है ख़ुश्क पलकों को शबनमी कर लो थोड़ा दिल को सुकून मिल जाए आओ कुछ देर शायरी कर लो उस ने रस्मन मिज़ाज पूछा है तुम भी सुन सुन के अन-सुनी कर लो गुनगुना कर ग़ज़ल हसीं कोई तुम अंधेरे में रौशनी कर लो शाम होने में वक़्त है 'इरफ़ान' जो भी करना है बस अभी कर लो