अपनी सूरत पे भी नज़र रखिए आइना हाथ में अगर रखिए आप पर जाँ निसार कर दें सब बात बस ऐसी पुर-असर रखिए इक ना इक दिन ये काम आयेगा हाथ में अपने कुछ हुनर रखिए प्यार कोई हँसी या खेल नहीं आप पत्थर सा फिर जिगर रखिए छाँव उन की बड़ी ही शीतल है घर में बूढ़ा भी इक शजर रखिए