दिल ओ निगाह में उस को अगर नहीं रहना 'शनास' मुझ को भी फिर दर-ब-दर नहीं रहना अगर मैं आऊँगा सदियों की उम्र लाऊँगा कि तेरे पास मुझे मुख़्तसर नहीं रहना ये काएनात मिरी उँगलियों पे नाचती है मुझे सितारों के ज़ेर-ए-असर नहीं रहना मैं जानता हूँ मगर दिल को कौन समझाए 'शनास' उस को मिरा हम-सफ़र नहीं रहना