अपनी तन्हाई को बाज़ार समझते रहे हम ज़िंदगी तुझ को ख़रीदार समझते रहे हम क्या ख़बर थी कि यही हिज्र ख़ुशी भी देगा आशिक़ी में जिसे आज़ार समझते रहे हम मंज़िलें जितनी थकन उतनी सफ़र ला-महदूद सो खड़े राह में आसार समझते रहे हम रक़्स करता रहा दिल ख़ूब धड़कता रहा दिल हाँ यही दिल जिसे बीमार समझते रहे हम