और मुझ से ये अज़िय्यत नहीं देखी जाती ऐ ज़मीं अब तिरी हालत नहीं देखी जाती ज़हर सी रात लहू और ये घमसान का रन दीदा-ए-तर से क़यामत नहीं देखी जाती ज़िंदगी आज ज़रा हँस के गले लग मुझ से तेरी आँखों में नदामत नहीं देखी जाती मेरी आँखों में जो हैरत है मिरी वहशत है मुझ से आईने की हैरत नहीं देखी जाती बे-सबब गुल की रियासत में चले आते हैं दिल के रिश्ते में ज़रूरत नहीं देखी जाती