अपनों की टूटती हुई तस्वीर देख ली अग़्यार की भी चाह में तासीर देख ली आया नहीं है होश निगाहों को अब तलक बिखरे हुए जो ख़्वाबों की ता'बीर देख ली क्या माँगता मैं तेरी पशेमानी का सुबूत आँखों से बहते अश्कों में ता'ज़ीर देख ली अब तक दिखे परिंदे असीर-ए-क़फ़स मगर सय्याद के भी हाथ में ज़ंजीर देख ली था जिस के पेच-ओ-ख़म पे ये सारा जहाँ फ़िदा लो हम ने भी वो ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर देख ली 'नाक़िद' है बे-ज़बान खड़ा दर पे नामा-बर चेहरे पे उस के आप की तहरीर देख ली