आरज़ूओं का हसीं पैकर तराश इक सराब-ए-सुब्ह का मंज़र तराश इक घरौंदा रेग-ए-साहिल से बना बर्फ़ के पत्थर से इक दिलबर तराश दीदा-ए-नमनाक से दरिया बहा आह-ए-शो'ला-बार से महशर तराश इस हिसार-ए-ज़ात से बाहर निकल गुम्बद-ए-बे-दर में तू इक दर तराश बहर-ए-इशरत में सदफ़ मिलता नहीं क़तरा-ए-ख़ूँ-नाब से गौहर तराश तेग़-ए-ज़ंग-आलूद को फिर आब दे जब्र-ओ-इस्तिबदाद के फिर सर तराश ताइर-ए-ख़्वाहिश की लम्बी है उड़ान उस के बाल-ओ-पर को तू अक्सर तराश