असर देखा दुआ जब रात भर की By Ghazal << दिल से वहशी को शादमान किय... आग के फूल पे शबनम के निशा... >> असर देखा दुआ जब रात भर की ज़िया कुछ कुछ है तारों में सहर की हुए रुख़्सत जहाँ से सुब्ह होते कहानी हिज्र की यूँ मुख़्तसर की तड़प उट्ठे लहद के सोने वाले ज़मीं की सम्त क्यूँ तुम ने नज़र की सहर देखें ये हसरत ले गए हम बताएँ क्या तुम्हें क्यूँकर सहर की Share on: