असर ज़ुल्फ़ का बरमला हो गया बलाओं से मिल कर बला हो गया जुनूँ ले के हमराह आई बहार नए सिर से फिर वल-वला हो गया दिया ग़ैर ने भी दिल आख़िर उसे मुझे देख कर मन-चला हो गया समाई दिल-ए-तंग की देखिए कि आलम में साबित ख़ला हो गया तअल्ली ज़मीं से जो नालों ने की फ़लक पर अयाँ ज़लज़ला हो गया हुआ क़त्ल बे-जुर्म मैं जा के 'बर्क़' वो कूचा मुझे कर्बला हो गया