असर-ए-आह-ए-दिल-ए-ज़ार की अफ़्वाहें हैं या'नी मुझ पर करम यार की अफ़्वाहें हैं शर्म ऐ नाला-ए-दिल ख़ाना-ए-अग़्यार में भी जोश-ए-अफ़्ग़ान-ए-अज़ा-बार की अफ़्वाहें हैं कब किया दिल पे मिरे पंद-ओ-नसीहत ने असर नासेह-ए-बेहूदा-गुफ़्तार की अफ़्वाहें हैं जिंस-ए-दिल के वो ख़रीदार हुए थे किस दिन ये यूँही कूचा-ओ-बाज़ार की अफ़्वाहें हैं क़ैस-ओ-फ़रहाद का मुँह? मुझ से मुक़ाबिल होंगे? मर्दुम-ए-वादी-ओ-कोहसार की अफ़्वाहें हैं ये भी कुछ बात है मैं और करूँ ग़ैर से बात तुम न मानो कि ये अग़्यार की अफ़्वाहें हैं किस तवक़्क़ो' पे जिएँ 'शेफ़्ता' मायूस करम ग़ैर पर भी सितम यार की अफ़्वाहें हैं