ज़ाविए बहारों के सब हसीन होते हैं झूट के सभी मौसम बे-यक़ीन होते हैं हम भी जान कर उन से अहद-ओ-पैमाँ करते हैं उस के झूटे वा'दे भी दिल-नशीन होते हैं झेलते हैं सारा दुख लब पे कुछ नहीं लाते दर्द की रिफ़ाक़त के जो अमीन होते हैं सीप में ही रहते हैं सूरत-ए-सदफ़ बन कर दिल में याद के मोती यूँ मकीन होते हैं उस्तुवार रखते हैं ज़िंदगी से सब रिश्ते इश्क़ करने वाले भी क्या ज़हीन होते हैं