अश्क आँखों में कसक दिल में छुपाते होंगे जो ग़रीबी की सज़ा दह्र में पाते होंगे हादसो रोक लो रफ़्तार ज़रा तुम अपनी मेरे बच्चे अभी इस्कूल से आते होंगे हम तो क़ातिल के मदद-गार कहेंगे उन को जो उसे झूटी गवाही से बचाते होंगे हम ने माना कि बहुत ख़ूब हैं आँखें इन की नींद में फिर भी मिरे ख़्वाब सताते होंगे भूलने वाले तिरी याद सताए हम को गाहे-गाहे तुझे हम याद भी आते होंगे लाश ले जाओ दवा-ख़ाने से अब जल्द 'नदीम' लोग दीदार को सब घर मिरे आते होंगे