अश्कों ने यूँ शोर मचाया आँखों के पैमानों में जैसे बौछारें बरसीं हों टीन पड़े दालानों में सूरज का सब ज़ो'म तकब्बुर लम्हों में भर लेते हैं बादल के कुछ ज़िद्दी टुकड़े अपने ठंडे शानों में उम्मीदों के दीप जलाए आँखों में छोटी छोटी हँसते हैं कुछ भूके बच्चे ग़ुर्बत के ज़िंदानों में नफ़रत धोका बुग़्ज़ तअ'स्सुब झूट दिखावा ख़ुद-ग़रज़ी कैसे कैसे ज़हर भरे हैं इंसाँ की शिरयानों में बचपन की इक दोस्त क़रीबी जिस झगड़े में रूठी थी आज भी है वो टूटी गुड़िया यादों के सामानों में लैला मजनूँ के क़िस्से अब संदूक़ों में बंद हुए इश्क़ मोहब्बत वाली ग़ज़लें बोसीदा दीवानों में जंगल वाले ख़ून-ख़राबे झूटी बातें लगती हैं इंसानों की बस्ती की है धूम मची हैवानों में