अजब नहीं है तमन्ना-ए-मो'तबर होना हर इक शजर की ज़रूरत है बार-वर होना मुझे यक़ीन की मंज़िल से दूर रखता है मिसाल-ए-मौज-ए-हवा मेरा दर-ब-दर होना कोई कमी तो है बाक़ी जहान-ए-हस्ती में बता रहा है ये मिट्टी का चाक पर होना हज़ार-ख़ानों में तक़्सीम कर रहा है मुझे तुम्हारी याद का दिल से इधर उधर होना ठहर गया था शब-ए-कम-निगाह में 'आसिम' हमारे ख़ूँ से चराग़ों का मो'तबर होना