अस्ल चेहरों का इंकिशाफ़ किया हम ने तब्दील हर ग़िलाफ़ किया शहर-भर की है क्यूँ ज़बानों पर जिस का न मैं ने इंकिशाफ़ किया जब्र को रहनुमा समझते थे क्यूँ ज़माने से इंहिराफ़ किया ख़ीरगी बढ़ गई है शहरों में तंग आए तो एतकाफ़ किया हर्फ़-ए-हक़ हम ज़बान पर लाए साफ़ दुनिया से इख़्तिलाफ़ का कब है 'अंजुम' की पैरवी आसान किस ने सूरज का ए'तिराफ़ किया