और सुनाओ कैसे हो तुम By Ghazal << कभी मिलेंगे तो ये क़र्ज़ ... अजल के साथ चले हैं यूँ इं... >> और सुनाओ कैसे हो तुम अब तक पहले जैसे हो तुम अच्छा अब ये तो बतलाओ कैसे अपने जैसे हो तुम यार सुनो घबराते क्यों हो क्या कुछ ऐसे वैसे हो तुम क्या अब अपने साथ नहीं हो तो फिर जैसे तैसे हो तुम ऐश-परस्ती तुम से तौबा मज़दूरी के पैसे हो तुम Share on: