औरों की तरह से अब न टालो हम को अपने गले लगा लो गाली न दिया करो किसी को बस बस अपनी ज़बाँ सँभालो ग़ुर्फ़े में से झाँक पास अपने ग़ैरों को हँसी-ख़ुशी बुला लो और हम से हज़ार हैफ़ प्यारे मुँह को शर्मा के यूँ छुपा लो है क़ाफ़िला उम्र का रवाना रख़्त अपना मुसाफ़िरो सँभालो बुत-ख़ाने की राह को 'सुलैमान' छोड़ो तुम और रह-ए-ख़ुदा लो