शिकवा इस का तो नहीं है जो करम छोड़ दिया है सितम ये कि सितमगर ने सितम छोड़ दिया ले गया छीन कोई सब सर-ओ-सामान-ए-हयात हाँ मगर एक सुलगता हुआ ग़म छोड़ दिया लग गई इन को भी शायद तिरे कूचे की हवा मय-कदा रिंद ने ज़ाहिद ने हरम छोड़ दिया हाए उस रह-रव-ए-बर्बाद की मंज़िल ऐ दोस्त जिस ने घबरा के तिरा नक़्श-ए-क़दम छोड़ दिया