बा-ख़ुदा मैं ने ख़ूब पी सिगरेट जब जली तेरे नाम की सिगरेट मैं न अपनाऊँगा इसे फिर से नहीं पीता मैं मुँह-लगी सिगरेट एक दिन उस ने होंट चूम लिए और फिर मैं ने छोड़ दी सिगरेट बात फिर दोस्ती पे लौट आई मुँह लगाते ही बुझ गई सिगरेट उस ने इक दिन गली में देख लिया और होंटों से छीन ली सिगरेट जाने किस किस के मुँह लगी जा कर आख़िरी शब की आख़िरी सिगरेट इतना पूछा था क्या हुआ तुझ को और फिर बोलने लगी सिगरेट इस से बाहर कभी न आए गए मौत सिगरेट है ज़िंदगी सिगरेट इस से दूरी बना के रख 'हर्षित' मुँह जला देगी बावली सिगरेट