बा-वफ़ा तारीख़ के औराक़ में माने गए जिन अलम-दारों के दरियाओं पे कट शाने गए हम तो अपने थे मगर राँदा गए थे इश्क़ में उन से मिलने के लिए इस बार बेगाने गए नासेहान-ए-शहर अब उस के तरफ़-दारों में हैं जो यहाँ से उस परी-पैकर को समझाने गए शैख़ साहिब जानिब-ए-कअबा गए थे ज़ो'म से हम सुबू-कश सुब्ह-ए-सादिक़ उठ के मय-ख़ाने गए अहल-ए-दिल फिर भी न बाज़ आए मोहब्बत से कभी अनगिनत इस आशिक़ी में जाँ से दीवाने गए कूचा-ए-जानाँ में सब के लब पे मेरा नाम था उस गली में मुझ से पहले मेरे अफ़्साने गए हर कोई गुम हो गया नाकामियों के दश्त में हम मगर 'तन्हा' जहाँ में फ़न से पहचाने गए