बाद-ए-सबा है रक़्स में ख़ुद लाला-ज़ार है ऐसे में आप आएँ तो लुत्फ़-ए-बहार है मिज़्गान-ए-तर की ओट में आँसू की धार है ऐ चश्म-ए-शौक़ किस का तुझे इंतिज़ार है मौत-ओ-हयात तेरे इशारों के नाम हैं कोई अदा ख़िज़ाँ है तो कोई बहार है मग़रूर क्यों हैं फूल चमन के बहार पर दो-चार दिन के वास्ते फ़स्ल-ए-बहार है 'शाहिद' के सामने हैं मनाज़िर हसीं मगर दिल है कि आप ही के लिए बे-क़रार है