बाद मुद्दत के हिज्र सा देना मेरे हाथों में आइना देना अच्छा लगता है इस ज़माने को बाद मरने के बुत बना देना जी ये तौहीन है चराग़ों की रात बाक़ी हो और बुझा देना कैनवस पर बहार उतरेगी आप कुछ तितलियाँ बना देना मशवरा है कि हम जिए जाएँ कितना आसाँ है मशवरा देना ज़िंदगी 'नज्म' ख़्वाब जैसी है लुत्फ़ आने लगे जगा देना