बादलों के टुकड़ों में आसमाँ का नीला-पन कैसे भूले सावन की रुत का वो रंगीला-पन ढलने वाले हैं मोती चश्म-ए-नाज़ से शायद साफ़ कह रहा है ये पुतलियों का गीला-पन मेरी बात मत मानो दश्त में निकल जाओ आबले बता देंगे ख़ार का नोकीला-पन शहद की मिठास अक्सर होंट से टपकती थी किस ने उस के लहजे में भर दिया कसीला-पन काश इतनी वुसअ'त भी इश्क़ को ख़ुदा बख़्शे जज़्ब कर ले आँखों में आँसूओं का गीला-पन आप से मोहब्बत है सादगी से कह डाला हर्फ़ हर्फ़ में लेकिन भर दिया रसीला-पन अब क़बा-ए-गुल शायद अपना रंग भी बदले सब्ज़ सब्ज़ पत्तों पर आ रहा है पीला-पन