बात अच्छी बुरी लगी उस को कोई दिखलाए रौशनी उस को एक बीमार है बहुत बीमार काश आ जाए मौत ही उस को एक लड़की मुझे जो देवी है क्यों सताता है आदमी उस को अपना ये जिस्म भी नहीं अपना कौन समझाए हर घड़ी उस को इस के होने से चल रही धड़कन मैं ने दे दी है ज़िंदगी उस को काम आता हूँ यार के अब भी रास आती है शायरी उस को