बात जब दोस्तों की आती है By दोस्त, मायूसी, Ghazal << लोग हर-चंद पंद करते हैं लब-ए-ख़मोश से उस ने ख़ुश-... >> बात जब दोस्तों की आती है दोस्ती काँप काँप जाती है मुझ से ऐ दोस्त फिर ख़फ़ा हो जा इश्क़ को नींद आई जाती है अब क़यामत से क्या डरे कोई अब क़यामत तो रोज़ आती है भागता हूँ मैं ज़िंदगी से 'ख़ुमार' और ये नागिन डसे ही जाती है Share on: