बात सच की धरी की धरी रह गई और अख़बार में में सनसनी रह गई मैं उदासी से जा कर गले मिल गया हाथ मिलती बिलकती ख़ुशी रह गई हम को सब कुछ दिया ज़िंदगी ने मगर पर जो तेरी कमी थी कमी रह गई अब के तो राम आ कर चले भी गए अहलिया तो खड़ी की खड़ी रह गई मैं उदासी के कमरे में सोता रहा और उधर रौशनी जागती रह गई मुझ से आया भी मिलने वो आया कि जब जिस्म में साँस जब आख़िरी रह गई