बदल बदल के वो चोला मकान से निकला किसी का तीर किसी की कमान से निकला हसीन बस्तियाँ वीरान करने वाला भी ख़ुशी को ढूँढता वहम-ओ-गुमान से निकला अजीब हादिसा अहल-ए-ज़मीन पर गुज़रा कि क़तरा क़तरा लहू आसमान से निकला वो हर्फ़ हर्फ़ किताबों को चाटने वाला सफ़ेद कीड़ा मिरी दास्तान से निकला वो एक क़िस्सा जो 'अनवर' कभी सुना न सका वो लफ़्ज़ लफ़्ज़ किसी के बयान से निकला