बदन भीगेंगे बरसातें रहेंगी अभी कुछ दिन ये सौग़ातें रहेंगी तड़प बाक़ी रहेगी झूट है ये मिलेंगे हम मुलाक़ातें रहेंगी नज़र में चेहरा कोई और होगा गले में झूलती बाँहें रहेंगी सफ़र में बीत जाना है दिनों को मुसलसल जागती रातें रहेंगी ज़बानें नुत्क़ से महरूम होंगी सहीफ़ों में मुनाजातें रहेंगी मनाज़िर धुँद में छुप जाएँगे सब ख़ला में घूरती आँखें रहेंगी कहाँ तक साथ देंगे शहर वाले कहाँ तक क़ैद आवाज़ें रहेंगी