बढ़ा दो दर्द की लौ और कम है मेरे लिए अभी ये इश्क़ में पहला क़दम है मेरे लिए जहाँ जहाँ से हैं वाबस्ता ख़्वाब लोगों के वो हर मक़ाम बहुत मोहतरम है मेरे लिए मिटाते जाओगे तुम दर्ज करते जाएँगे हम तुम्हारे वास्ते ख़ंजर क़लम है मेरे लिए हर एक लम्हा तिरी जुस्तुजू में ख़र्च हुआ मुझे ये लगता था मेरा जनम है मेरे लिए मैं अपनी राह की ख़ुद रौशनी बनूँ तो बनूँ कोई ख़ुदा है न कोई सनम है मेरे लिए