बड़ी मुद्दत से क़िस्मत आज़माने की तमन्ना है तुझे पाने तुझे अपना बनाने की तमन्ना है कभी तो बंदगी की लज़्ज़तों से आश्ना होगा किसी के नक़्श-ए-पा पर सर झुकाने की तमन्ना है रुलाया है मुझे जिस ग़म ने बरसों ख़ून के आँसू मुझे उस ग़म पे इक दिन मुस्कुराने की तमन्ना है अब उन के दर पे आ बैठी वो जानें या मिरी क़िस्मत कहीं आने की ख़्वाहिश है न जाने की तमन्ना है इलाही ख़ैर मुद्दत हो गई भूले हुए जिस को वो नग़्मा साज़-ए-दिल पर गुनगुनाने की तमन्ना है 'वफ़ा' तुम भी अजब हो ख़ूब है बाज़ी मोहब्बत की कि उस को जीत कर भी हार जाने की तमन्ना है