बेचैन ये दिल है तिरे दीदार की ख़ातिर ठुकरा दिया दुनिया को तिरे प्यार की ख़ातिर आँखों में है दम हसरत-ए-दीदार की ख़ातिर कुछ देर को आ जाइए बीमार की ख़ातिर जब ताज-महल बन गया कटवाए गए हाथ इक शाह ने की यूँ फ़न-ए-मे'मार की ख़ातिर हम जान भी दे दें जो इशारा हो उधर से मंज़ूर हर इक ज़ुल्म है दिलदार की ख़ातिर क़िस्मत मिरी कुटिया की जगा जाएँ किसी दिन आँखें हैं बिछाई हुई सरकार की ख़ातिर हम तिश्ना-ब-ल्ब साहिल-ए-दरिया से चले आए ये कर्ब भी झेला दिल-ए-ख़ुद्दार की ख़ातिर मेहनत भी मशक़्क़त भी करूँ क्यों न 'वफ़ा' मैं है फ़र्ज़ मिरा अपने परिवार की ख़ातिर