बद-सोहबतों को छोड़ शरीफ़ों के साथ घूम पी ख़ुश-नुमा गिलास से अच्छे लबों को चूम लहजे को शोख़ चेहरे को ताज़ा बनाए रख तहसीन की सबा हो कि तज़हीक की सुमूम मय-ख़ाना-ए-मफ़ाद के मय-कश हैं होश-मंद मौक़ा से ले ले जाम तवाज़ुन के साथ झूम बुर्ज-ए-''अमल'' में ''चांस'' के सूरज की कर गिरफ़्त सड़कें हैं ''ज़ाइचा'' तिरा ये क़ुमक़ुमे नुजूम ठहरा तो फिर उड़ाएँगी ख़ामोशियाँ मज़ाक़ स्टेज से उतर जो मचे तालियों की धूम हाँ गुलशन-ए-तलब की इन्हें बुलबुलें समझ वीराँ-कदे में जिस्म के ये ख़्वाहिशों के बूम