मेरा ख़त लिख के बुलाना उसे अच्छा न लगा इस तरह प्यार जताना उसे अच्छा न लगा कह के ठोकर वो तो राहों में गिरा था लेकिन मेरा यूँ हाथ बढ़ाना उसे अच्छा न लगा रहने वाली थी वो महलों की इसी की ख़ातिर मेरा छोटा सा ठिकाना उसे अच्छा न लगा सुन लिया पहले तो हँस हँस के फ़साना 'अम्बर' फिर ये बोली ये फ़साना उसे अच्छा न लगा