बाग़ में फूलों को रौंद आई सवारी आप की किस क़दर मम्नून है बाद-ए-बहारी आप की बेवफ़ाई आप की ग़फ़लत-शिआरी आप की मेरे दिल ने आदतें सीखी हैं सारी आप की है यक़ीं बाहम गले मिलने को उट्ठें दस्त-ए-शौक़ हो अगर तस्वीर भी यकजा हमारी आप की मय-कदे में टूटे जाते हैं बहम लड़ लड़ के जाम मुफ़सिदा-पर्दाज़ है चश्म-ए-ख़ुमारी आप की जज़्ब इसे कहते हैं आए कहने मेरी क़ब्र तक अब यहाँ से बढ़ नहीं सकती सवारी आप की करती हैं अंधेर हाथों की ये काली मैलियाँ क़ातिल-ए-आलम हुई है सोगवारी आप की जा-ब-जा होते हैं दामन-गीर दिल उश्शाक़ के हर क़दम पर आज रुकती है सवारी आप की याद-ए-अय्यामे कि था ज़ोरों पे जज़्ब-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ वो मिरे दिल का तड़पना बे-क़रारी आप की है शब-ए-महताब गोरे रंग से कपड़े सियाह हुस्न को चमका रही है सोगवारी आप की दो तरह के एक साग़र में लबालब है शराब ख़्वाब-आलूदा नहीं चश्म-ए-ख़ुमारी आप की मेरे लाशे को लिए फिरते हैं उन राहों में लोग जिन गली-कूचों में फिरती थी सवारी आप की आज किस पर रहम आया किस को रोए हैं हुज़ूर है नसीब-ए-दुश्मनाँ आवाज़ भारी आप की अहद में मजनूँ के लैला का रहा क्या दौर दौर अब 'तअश्शुक़' के ज़माने में है बारी आप की