बग़ैर तोले परों को उड़ान मत लेना ज़मीन वालो कभी आसमान मत लेना ये बाम-ओ-दर भी अगर जिस्म के पिघल जाएँ किसी से भीक में तुम साएबान मत लेना बहुत अज़ीम हुनर है ये ख़ाकसारी भी तुम अपने सर पे मगर ख़ाक-दान मत लेना बस अब तो पोंछ लो गर्द-ए-मलाल चेहरे से किसी के ज़ब्त का फिर इम्तिहान मत लेना जहाँ पे लोग बहुत बा-शुऊर होते हैं ख़ुलूस-ए-दिल का वहाँ इम्तिहान मत लेना निबाह आप अगर चाहते हैं दुनिया से कहीं भी शर्त कोई दरमियान मत लेना जो कह सको तो कहो वर्ना चुप रहो 'असरार' कहीं से क़र्ज़ में लफ़्ज़-ए-बयान मत लेना