बहाने ढूँड के लाते थे यार एक से एक हमारे साथ रहे ग़म-गुसार एक से एक कहाँ कहाँ पे अक़ीदों से सर झुकाए कोई क़दम क़दम पे हैं परवरदिगार एक से एक फ़लक पे हो कि न हो ख़ाक-रू कोई मौजूद ज़मीन पर हैं सितारा-शिआ'र एक से एक तुम्हीं नहीं हो नमाज़-ए-शब-ए-वफ़ा के अमीन पड़े हुए हैं तहज्जुद-गुज़ार एक से एक अभी तो सिर्फ़ तआ'क़ुब मिरी ज़मीन का है अभी तो होंगे हवा में शिकार एक से एक किसे किसे मैं बनाऊँ निगाह का मरकज़ कि जान एक है और जाँ-निसार एक से एक कोई न कोई बनाएगा इश्क़ के कूज़े वफ़ा का चाक सलामत कुम्हार एक से एक इक आइने ने मिरे कान में कहा 'हर्षित' तुम्ही नहीं हैं यहाँ दाग़दार एक से एक