बहार-ए-बाग़ हो मीना हो जाम-ए-सहबा हो हवा हो अब्र हो साक़ी हो और दरिया हो रवा है कह तू भला ऐ सिपहर-ए-ना-इंसाफ़ रिया-ए-ज़ोहद छुपे राज़-ए-इश्क़ रुस्वा हो भरा है इस क़दर ऐ अब्र दिल हमारा भी कि एक लहर में रू-ए-ज़मीन दरिया हो जो मेहरबाँ हैं वो 'सौदा' को मुग़्तनिम जानें सिपाही-ज़ादों से मिलता है देखिए क्या हो