बहार-ए-गुलशन-ए-अय्याम हूँ मैं सहर नूर ओ सवाद-ए-शाम हूँ मैं शिताब आ ऐ मह-ए-ईसा-नफ़स तू कि ख़ुर्शीद-ए-कनार-ए-बाम हूँ मैं अगर मंज़ूर है आना तो जल्द आ कि तुझ बिन सख़्त बे-आराम हूँ मैं बजाए मय तिरी दूरी में ऐ गुल ब-रंग-ए-लाला ख़ूँ-आशाम हूँ मैं मुहिब्ब-ओ-मुख़्लिस ओ फ़िदवी हूँ तेरा समझ तू लाएक़-ए-दुश्नाम हूँ मैं तुझे देख आप में रहता नहीं मैं ग़रज़ तुझ वस्ल से नाकाम हूँ मैं बहार आई चमन में गो मुझे क्या गिरफ़्तार ओ असीर-ए-दाम हूँ मैं निशाँ अपना कहीं पाया नहीं याँ फ़क़त अन्क़ा-सिफ़त यक नाम हूँ मैं न पैग़ाम ओ सलाम ओ ने मुलाक़ात अबस तुझ इश्क़ में बद-नाम हूँ मैं न हूँ परवाना-ए-हर-शम्अ 'बेदार' फ़िदा-ए-सर्व-ए-गुल-अंदाम हूँ मैं