बहुत दुश्वार रस्ता हो गया है सफ़र अब जस्ता जस्ता हो गया है अना झुकने नहीं देती थी जिस को वही अब दस्त-बस्ता हो गया है तुम्हारा चाहने वाला हूँ मैं भी मिरा दिल भी शिकस्ता हो गया कहाँ ले आई है बौनों की सोहबत हमारा क़द भी पस्ता हो गया है कभी वो साहिब-ए-उसलूब होगा जो अब लहजे से ख़स्ता हो गया है जनाब-ए-‘शान’ का अब झोंपड़ा भी शिकस्ता दर शिकस्ता हो गया है